Monday, November 28, 2011

तेरे आने से.......


खोया रहता हूँ आजकल  मैं ,
बावरा मन भी न  पास  है .
सब  कुछ   नया-नया सा लगता है,
ज़िन्दगी में आया कोई खास है.

अकेले में तेरी तस्वीर लिए,
तुझसे बातें किया करता हूँ.
खुश   रहने लगा है दिल  मेरा ,
क्या हुआ  है  इसे ? सोच   डरता हूँ.

आँखों की यही ख्वाहिश  है ,
तू  एक  पल  को भी अब  न  ओझल   हो.
दिल में गर दर्द भी उठे तो,
वो तेरी यादों से ही बोझल  हो .

तेरे हसीं  चेहरे पे,
है जो मासूम सा भोलापन.
कई आशिक  होंगे  तेरे मगर,
न होगा उनमे मुझसा दीवानापन.

दुआ  में  हाथ जब उठे तो,
खुदा से  मांग   ली थोड़ी हँसी.
तब तुझसे मिला कर उसने,
बक्श दी दुनिया की सारी ख़ुशी.

तुझसे बातें जो करूं मैं,
तो धड़कने क्यूँ बढ़ जाती है ?
तेरे बारे में सोचता हूँ जब,
ये  आँख   क्यूँ भर आती है ?

Thursday, November 17, 2011

तन्हाई.....



तन्हा जी रहा था मैं,
फिर तुने  साथ   चलना सिखाया.
तेरी प्यारी आँखों ने,
एक   हसीं  ख्वाब   दिखाया.

हर हँसी में तेरी,
मैंने थी ज़िन्दगी पायी.
मोहब्बत  हुई  थी मुझे,
तू  दिल को  इस   कदर भायी.

पर तेरे दिल में भी मोहब्बत,
मैं कभी जगा न सका.
तुने साथ छोड़ा भी तब,
जब राह में आख़िरी मोर आया.

मैं आज भी वहीँ खड़ा,
तेरे आने की उम्मीद में हूँ.
अकेला था तो मैं पहले भी,
अब तन्हा भीड़ में हूँ.

छोड़ना ही था अगर तो,
हाथ मेरा थामा क्यूँ ?
मैं जी रहा था कहीं तन्हा,
यूँ ज़िन्दगी में आना क्यूँ ?

बहुत कुछ है कहने को इस दिल में,
पर क्या, गर तुझे ऐतबार नहीं.
रातों को सिसकती साँसों का क्या,
गर सिरहाने मेरा यार नहीं.

हँसता है अब तो मेरी तन्हाई पे,
ये चाँद घिरा सितारों में.
बिखरा हूँ मैं लहरों की तरह,
टूटा हूँ पहुँच  किनारों पे.

तुझे चाहने की जुर्रत  की  तो,
खुदा से ये कैसी सजा पायी.
किसी से क्या गिला करूँ मैं,
साथ छोड़ गयी जब खुद की भी परछाई.

तेरी वो मासूम सी बातें,
गूंजती हैं मेरे कानो में.
तेरी खुसबू सी आती है,
मेरे हर साँसों में.

होश  नहीं  अब  मुझे  खुद  का,
खोया  रहता  हूँ  तेरी  यादों में.
तन्हा जी  रहा  हूँ  इसी  उम्मीद में अब,
तू  भी  बेचैन  हो  आएगी  मेरे  बाँहों में.

Sunday, October 16, 2011

एक तू ही....



तुझे याद है या नहीं ?
वो पेहली  मुलाकात   अपनी.
पलकों से मिली थी पलकें,
दिल ही दिल में हुई थी बात अपनी.

उससे पहले तू,
मिला करती थी  बस   ख्वाबों में.
अब तो हर पल  है ,
एक तू ही मेरे ख्यालों में.

मैं सोचता था,
तू परियों की शहज़ादी है.
जो कहीं दूर, 
परिस्तान  से  आती  है.

पर तुझसे मिल कर,
मुझे हुआ  ये  यकीं.
कोई हो सकता है,
इस   ज़मी पे इतना भी हसीं.

मेरी ग़ज़ल,
मेरी उम्मीद है तू,
हर वक़्त इस दिल के,
करीब है तू.

तेरी निगाहों में छुपी,
ये कैसी शरारत  है .
मैं नादाँ, नही समझता उनको, 
क्या उनमे भी मेरी चाहत  है ?

सारी दुनियां से चुराकर,
आ  तुझे  पलकों में छिपा लू.
हर मुस्कराहट में तेरी,
मैं अपनी ज़िन्दगी पा लू.

न   कहना  की  तुझे  ऐतबार  नहीं ,
की  मैं  तुझ पे  फना  हो  जाऊं.
मेरे  रूह  की  बस  एक ख्वाहिश है,
तुझमे ही सदा के लिए खो जाऊं.

Sunday, October 9, 2011

आवारा आशिक....



दशेहरे का एक  किस्सा सुनाता हूँ,
गया था मैं एक मेले पर
खूबसूरत  एक   बंदी खड़ी थी वहीँ,
चटपटी सी, तीखी सी, चाट के ठेले पर.

उस हसीं की अदाओं पे,
हो गया मैं  इस   कदर  फ़िदा .
कदम   चल  पड़े  उसकी ओर,
मदद  करना  अब   ए  खुदा.

जब   देखा की कोई नही था उसके साथ,
जाकर खड़ा हो गया उसके बाजु.
बोला- "may i know ur sweet name ?
by the way my name is raju".

सुनकर वो थोडा ताव  में  आई,
तिरछी नज़रों से मुझे देखा.
मेरे व्यक्तित्व का विश्लेषण  कर ,
वो थोड़ा सोचकर बोली- "Rekha".

कोयल  सी  मीठी उसकी आवाज़,
कानो में मधुर  रस   घोल  गयी .
उसने कहा तो बस  एक  शब्द मगर,
उसकी आँखें बहुत  कुछ   बोल  गयी .

मैं शायद  कुछ  ज्यादा सोच  बैठा ,
फिर सकुचाकर पूछा- "are u single ?"
ये सुनकर वो थोड़ा मुस्कुरायी,
फिर तुनक कर बोली- "sorry i don't want to mingle."

खैर, उससे पहले वो मुस्कुरायी तो थी,
और   फिर सब कहते हैं "हंसी तो फँसी."
मैंने सोचा आखिर किस्मत  चमकी ,
इतनी कोशिशों के बाद एक बंदी पटी.

कल्पनाओं की दुनिया में खोया,
मैं बड़े प्यार से बोला- "i love you."
वो गुस्से में बोली-"चुप चाप  निकल  ले ,
नहीं तो my bhaiya will kill you."

मैंने भी जोश  में  उसका  हाथ   पकड़ा,
बोला-"don't worry, i'll handle your bhai."
उसने झटक कर हाथ छुराया,
और जोर से एक थप्पर लगाई.

उसकी छुअन  से  बदन  में  बिजली दौर गयी,
मैंने पूछा-"हाथ में चोट तो नही आई ?"
बड़े कमीने और बेशर्म  हो  तुम, 
ऐसा कहकर वो "भाई-भाई" चिल्लाई.

आगे क्या बताऊँ यारों,
आशिकी की क्या सजा पायी.
वो पत्थर  दिल   हंसती रही मुझ  पर ,
उसके भाई ने ऐसी की मेरी पिटाई.

दर्द से कराहते मेरे दिल ने तब,
अपने टूटे हाथ की  कसम   खायी.
अब किसी बंदी के  पास   नहीं जाना,
जिसका आसपास हो कोई भाई........   :-(

खैर.........
अगली बार से ये ध्यान  में  रख कर ही,
मरूँगा किसी दूसरी बंदी पे TRY..... ;-) :P

Wednesday, September 14, 2011

तू लौटकर आएगी...



तेरी चाहत  में  मैं आज,
अपनों के ही बीच  खो  गया.
एक   अँधेरी सी दुनिया है बची,
जिसमे सदा के लिए सो गया.

हमने  संग   मिलकर कभी,
कुछ   हसीं सपने थे बुने.
तू कैसे  भूल   गयी वो पल,
जब   प्यार के वादे थे किये.

तुने बीच सफ़र में ही,
क्यूँ  साथ   मेरा छोड़ दिया.
दर्द   बढ़ता ही गया दिल का,
ख़ुशी ने भी  रुख   मोर  लिया .

मेरे नसीब में तू नहीं,
तुझसे मैं नहीं हूँ खफा.
गिला बस   इस  बात  से है की तुने,
दिल तोड़ा, यूँ  करके  वफ़ा.

बस  एक दुआ  है  अब  रब  से ,
तुझे भी कभी मेरी याद आएगी.
तू भी बेचैन   होकर तब,
मेरी तस्वीर सीने से लगाएगी.

जब नज़र आएंगी मेरी निशानियाँ,
अपने दामन  में  उन्हें छिपाएगी .
आँख  भर  आएगी,  लैब  थरथराएंगे,
तू  चाह   कर भी तब रो  न  पायेगी.

तेरी नज़रें ढूंढेंगी मुझे,
तू खुद को तब रोक  न  पायेगी.
मेरी मोहब्बत  का  है  इम्तेहान  यही,
तू लौटकर मेरी बाँहों  में आएगी.
तू लौटकर मेरी बाँहों में आएगी......

Sunday, August 28, 2011

ख्वाबों की परी...



तू कौन है ?
तेरा मुझसे रिश्ता क्या है ?
मेरी बेचैनी है बढ़ी क्यूँ ,
ये किस्सा क्या है ?

धुंधली सी तेरी तस्वीर,
मेरे दिल में है बसी.
इस दुनिया की नहीं तू,
तुझसी कोई और न हसी.

मेरे ख्वाबों की परी तू,
कभी ज़मी पे तो उतर.
तेरे नूर से मैं रौशन,
खुदा कर दे ये मेहर.

तनहा रातों में तू,
मुझसे बातें किया करती है.
तुझे ढूँढू मैं कहाँ ?
तू ख्वाबों में मिला करती है.

तू बस  एक   कल्पना है मेरी,
दिल ये समझता ही नही.
तेरी आहट ये सुनता है,
तू है मेरे  करीब  कहीं.

ख्वाबों से निकल तू,
आएगी मेरे बाँहों में कभी.
लब खुल न सकेंगे तब मगर,
निगाहें कहेंगी बातें अनकही.

प्यार की डोर तुझसे है जुड़ी,
मेरे ये लफ्ज़ इबादत हैं तेरी.
 आ  भी  जा, मिटा दे ये दूरी,
तेरी राह में मेरी पलकें हैं बिछी.

Tuesday, July 26, 2011

ज़िन्दगी...एक उलझी पहेली.



क्या है ये, किसे पता ?
सोचो तो अजीब है.
कहीं  चल  रही रफ़्तार से,
तो कहीं ये मरीज़  है .

लगता है किताब है,
पन्ने जिसके कोरे हैं.
या कोई कहानी है,
पात्र जिसमे थोड़े हैं.

अश्वमेघ  का  अश्व है,
जो भटकता बेलगाम  है .
लगाम  वही  लगा सका,
जो जीतता संग्राम  है .

तो क्या ये  एक   युद्ध है ?
जो कभी कोई जीता नहीं.
या ज़हर का घूँट है,
जीने को जो पीता सभी.

किसकी बनाई राह है ?
की हर कदम  पे  मोड़ है.
एक दूजे से बांधे हमे,
बड़ी नाजुक  ये  डोर है.

अनोखे इसके रंग  हैं ,
सुख-दुःख  की  बयार है.
फिर क्या पाने भागे सभी ?
सच्ची  दौलत  तो  प्यार है. 

भाग-भाग कर थके,
ये दौर अंतहीन  है .
पीछे रह गए अपने,
सब  खुद की धुन  में  लीन  है .

परिश्रम  से  बनाई थी,
फिर नीव   कैसे धंस  गयी  ?
ये कैसा जाल  है  बुना,
की मकड़ी खुद ही फँस  गयी .

जवाब   जिसका है नहीं,
"ज़िन्दगी" वो सवाल  है .
अंत   इसका निश्चित है ,
फिर क्यूँ मचा बवाल  है  ?

माना स्वाद थोडा तीखा है,
पर साथ  में  लजीज  है .
क्या है ये, किसे पता ?
सोचो तो अजीब है...

Tuesday, June 28, 2011

दोस्ती...



रिश्तों नातों का बुना है ताना बना,
खुदा ने बड़े सिद्दत से बनाया ज़माना.
नेमतें बक्क्षी हैं हज़ार लेकिन,
सबसे हसीं बनाया है याराना.

दिल के राज़ रह जाते दफ़न दिल में,
अगर ज़िन्दगी में न होता ये दोस्ताना.
आँखों में छुपे गम जान लेते हैं दोस्त,
उनके आगे चलता नहीं कोई भी बहाना.

हर पल को रंगीन बना देते हैं वो,
हमारी ख़ुशी के लिए लुटा दे प्यार का खज़ाना.
हम जो रूठे तो मानते हैं गालियाँ देकर,
और फिर कहेंगे 'साले अब तो गले लगाना'.

दोस्तों के साथ बिताये पल के क्या कहने,
जहाँ जमी महफ़िल वही धूम मचाना.
exam से एक रात पहले दिखायेंगे सिनेमा,
फिर अगले दिन हंस कर कहेंगे जा मचा कर आना.

पर एक विषय है जिसके ये विशेषज्ञ हैं,
हज़ार तरीके बताएँगे की कैसे बंदी पटाना .
दिखेगी अगर कोई मस्त item तो कहेंगे,
"ध्यान से देख ले इसी को है तेरी भाभी बनाना."

इन्ही प्यारी बातों से सजी है अपनी दुनिया,
इस दोस्ती की दुनिया को कभी न उजड़ने देना.
जो हर सुख दुःख में साथ रहे तुम्हारे,
उन अनमोल दोस्तों को कभी न भुलाना.

उनकी यादों को सदा दिल में बसाये रखना,
दोस्ती निभाना ऐसे की जैसे कृष्ण और सुदामा.
अब ये मत पूछना ये सुदामा कौन थे ?
खैर पूछ लो ! आखिर ये है नया ज़माना,
जहाँ छाया है Jhon-Abhi का 'Dostana'.

भरोसे पे टिका है ये दोस्ती का रिश्ता,
किसी अनजान की बातों में न आना.
दोस्तों का साथ जो रहेगा हमेशा,
जीवन में गम का न होगा कोई ठिकाना.

सच कहता हूँ मेरे यारों तुम्हे,
दोस्तों के बिना हर ख़ुशी है सुना-सुना.
पा लोगे मुश्किल से मुश्किल मंजिल मगर,
बड़ा मुस्किल है दोस्ती की दौलत कमाना.

Tuesday, April 26, 2011

कुदरत की साजिश.....


शिकायत है मुझे सूरज की किरणों से,
जो हर दिन तेरा दीदार करती हैं.
गिला है बारिश की बूंदों से,
जो छूने को तुझे बादलों से गिरती हैं.

खामोश रातों में मेरी तन्हाई पर,
ये चाँद भी अब हँसता है,
तेरी खूबसूरती से शर्मशार हो,
लगता है वो तुझसे जलता है.

मैंने पूछा हवा से गर,
वो जा रही हो तेरी ओर.
मेरी धड़कने तुझे सुना दे.
वो भड़की, और लिया रुख मोर.

ये सूरज, ये बादल, ये चाँद, ये हवा,
सब हँस रहे हैं हमारी दूरी पे,
ऐ खुदा ! ये फासले और नहीं सहे जाते,
मुझे रिहा कर दे इस मजबूरी से.

दुनिया के सितम कम न थे,
मुझे दिन रात रुलाने को.
कि अब कुदरत भी करने लगी साजिश,
मुझे प्यार में जलाने को.

Tuesday, April 19, 2011

Farewell...


These few lines are dedicated to all my passing out seniors. We'll miss you a lot. Through this poem i have tried to convey what  Our hall   wants to tell you as its last message...



मैं एक पराव था तेरा,
तुझे जीवन में कुछ पाना.
तेरी राहों में हो खुशियाँ,
तू कामियाब हो इतना.

फिर भी कभी जीवन में, तेरे आए कोई उलझन.
तेरा हिम्मत बढ़ाएगा, ये गुजरा TEMPO का ज़माना.

वो common room की practice,
वो sports में मचाना.
रातों को जागकर साथ,
illu में, hall सजाना.

ये दिन आयेंगे तुझको याद, तू चाहे जहाँ जाये.
याद बन जायेंगे तब अश्क, पर उनको न बहाना.

मेरा अस्तित्व है तुमसे,
कभी मुझको न भुलाना.
गर मेरी याद कभी आये,
तुम वापस लौट के आना.

तेरी यादों को संजोए, मैं तेरी राह ताकूंगा.
की हर दीवार पर मेरे, होगा तेरा ही फ़साना.
 की हर दीवार पर मेरे, होगा तेरा ही फ़साना.......

Saturday, April 16, 2011

दिल-ए-आशिकी...


तेरी यादें हैं इस दिल में,
मैं उन यादों को चुनता हूँ.
तुझसे मिलने की चाहत में,
मैं दिन में ख्वाब बुनता हूँ.

तू जिस राह से गुजरे, मैं उस राह पर बैठा,
तेरे वापस गुजरने का इंतज़ार करता हूँ.

तेरी खुशबू में है जादू,
कि मेरा मन मचलता है.
तेरी आँखें कुछ कहती हैं,
मेरा दिल फिसलता है.

मेरे आँखों से जो निकले, उन्हें आंसू न तुम समझो,
तेरी चाहत में जलता हूँ, कि मेरा दिल पिघलता है.

क्यूँ है दिल में ये बेचैनी,
मैं पल-पल आंह भरता हूँ.
मुझे तुझसे है कुछ कहना,
मगर कहते मैं डरता हूँ.

तू है एक परी सुन्दर, तेरे जलवों के क्या कहने,
तेरी अदाओं पे मरता हूँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ.

Tuesday, April 12, 2011

जीवन पथ...


जब भी तू निराश हो,
कोई न तेरे साथ हो.
एक रह आएगी निकल,
गर धैर्य तेरे हाथ हो.

ये मार्ग है बड़ा कठिन,
हिम्मत न हारना कभी.
कल के लिए तू रुक नही,
कदम बढ़ा तू चल अभी.

लक्ष्य है तेरे सम्मुख,
निर्भीक हो तू चल उधर.
अन्धकार से जो तू डरा,
भटक गया, चला किधर ?

मन से डर को निकाल,
विवेकपूर्ण विचार कर.
"निराकार" तेरे साथ हैं,
तू सपनो को साकार कर.

रुकावटों को पार कर,
जीवन का यही अर्थ है.
दुःख न हो जीवन में अगर,
तो सुख का होना व्यर्थ है.

इस पथ के हम सब पथिक,
कोई कमज़ोर, कोई अशहाय है.
ठहर ज़रा! उन्हें उठा गले लगा,
यही मानवता की भलाई है.

सहानुभूति से तू जी,
धीर, कर्मवीर बन.
इस पथ के अंत को समझ,
परमात्मा से मिला तू मन.

यूँ हुई सुमृत्यु तो,
हो जायेगा जग में अमर.
जीवन की ये चुनौती है,
तू उठ, संभल और चल प्रखर.

Saturday, April 9, 2011

तू एक परी है........



महफ़िल में थी,
बहुत सी हसी,
न जाने क्यूँ फिर,
नज़र तुझ पर ही रुकी.

दीवाना हो गया मैं,
सुध-बुध खो गया.
जब धीरे से,
तेरी पलकें झुकी.

इन आँखों से नींद
गायब न होती,
गर तुने नज़रें झुका कर,
फिर से मिलायी न होती.

हम बिन पिए,
ही मदहोश न होते.
गर तू शरमाकर,
मुस्कुरायी न होती.

तेरे कंगने की खनक ने,
किया मेरे दिल को घायल.
एक दर्द सा जगाती है,
तेरी काली आँखों का काजल.

एक आहट से तेरी,
धड़कने बढ़ जाती है.
तू होती है करीब तो,
खुद को भूल जाते हैं.

डर लगता है कहीं,
तू जन्नत की कोई नूर तो नही.
तेरे हुस्न के आगे,
इस ज़मी पर कोई हूर तो नही.

तू आसमा से उतरी एक परी है,
तुझे चाहना मेरी गुस्ताखी है.
जिंदा रहने के लिए प्यार नहीं,
बस तेरी एक झलक ही काफी है.

Tuesday, April 5, 2011

ख़ुशी की तलाश...


चल पड़े हैं एक राह पर सब,
लक्ष्य का न किसी को ज्ञान है.
ज़िन्दगी के दौर में,
कुछ पाने का बस ध्यान है.

दौड़-दौड़ कर थके,
ख़ुशी का न नमो-निशान है.
बस दुःख मिले जीवन में मुझे,
प्रभू, ये कैसा इम्तेहान है.

कुछ प्रश्न हैं दिल में दबे-
दुनिया में इतने गम क्यूँ ?
सब कुछ है पास फिर भी,
सबकी आँखें हैं नम क्यूँ ?

रे मुर्ख! जो मिला तुझे,
उसमे तू ना संतुष्ट है.
तेरी इच्छाओं का ना अंत है,
क्यूँ दुनिया से तू रुष्ट है.

जीवन के भाव को समझ,
नही तो जीना व्यर्थ है.
जो पूरी ना हुई कभी,
उन सपनो का क्या अर्थ है ?

कर्म से भागते रहे,
बस फल की कामना किया.
जो इच्छापूर्ति ना हुई तो,
जीवन में बस दुःख मिला.

ये इच्छाएँ दुःख के मूल हैं,
उन्हें मन से निकाल कर तू फेक.
जितना मिला ईश्वर से तुझे,
उसमे ख़ुशी तलाश कर तू देख.

पिता के डाट में ख़ुशी,
माँ के दुलार में ख़ुशी.
गर जियेगा सबको साथ ले,
दुनिया में तुझसा ना कोई सुखी.

कुछ सवालों के जवाब ढूंढ,
मनुष्य जीवन क्यूँ मिला ?
यूँही वृथा जिए, वृथा मरे,
तो रह जायेगा खुद से गिला.

बटोर ले जो हो सके,
बिखरे पड़े ख़ुशी के पल.
तू आज में जी भर के जी,
किसे पता क्या होगा कल.

Sunday, March 13, 2011

कॉलेज के दिन........



कुछ ही दिन हुए हैं,
KGP में आया था एक फच्चा.
जम कर पढूंगा,इंजिनियर बनूँगा,
इरादों का था एकदम पक्का.

बच्चों का खेल नही था,
JEE clear किया था उसने.
माँ का दुलारा, पिता का प्यारा,
आज बन गया था सब के आँखों का तारा.

पहली बार घर से दूर,
जीने चला था एक ज़िन्दगी.
नए उत्साह, नए जोश के साथ,
अपने आदर्शों भरी ज़िन्दगी.

बुराई से दूर रहना बेटा, 
कहीं कदम न डगमगाए.
ऐसा कहते-कहते,
माँ के आँख थे भर आये.

कैम्पस का दृश्य तो,
एकदम अनोखा था.
ज़िन्दगी को इतना रंगीन,
उसने पहले कभी न देखा था.

यारों की यारी थी,
क्लास बंक करने की बिमारी थी.
रात को ऐश तो दिन में सोना था,
बस, एक बंदी पटाने का रोना था.

exam आने पर,
एक रात पहले की पढाई थी.
पास करने के लिए,
दूसरों के पेपर से छपाई थी.

दिन भर के frustaape के बाद,
"Eggies" में गुजरती थी सारी रातें.
life के load को कम करने को,
"LS" में होती थी जाम की बरसातें.

peace मारने की आदत में,
CG पूरा मखाया है.
placement का load क्यूँ ले,
इस दुनिया में सब मोह-माया है.

पर कभी-कभी वो सोचता है,
कॉलेज के ये दिन बीत जायेंगे.
यारों के संग बिताये हसीन पल,
फिर कभी न लौट पाएंगे.

दिल उदास हो जाता है,
आँख भर आती है.
क्यूँ नही ये ज़िन्दगी,
यहीं थम जाती है........

**KGP LINGO**

KGP: Kharagpur(IIT); frustaape: frustration; Eggies: night restaurant in kgp;
LS: Bar outside campus; Load: Tension; Peace: opposite of Load;

Monday, February 28, 2011

फिर से मोहब्बत की हमने...


ज़िन्दगी के सारे ज़ख्म सह रहे थे हम,
पर बेवफाई की चोट से बिखरने लगे थे हम.
न जाने कब उससे मुलाकात हुई हमारी,
अब फिर से सवरने लगे हैं हम.

हम तो तन्हाई में जी रहे थे कहीं,
तभी उसके प्यार ने सहारा दिया.
डर लग रहा था फिर इश्क करने से,
तभी ज़िन्दगी ने प्यार भरा ईशारा किया.

एक डोर खिचती है हमे उसकी ओर,
उसकी खुशबू में अज़ीब सा जादू है.
कुछ तो बात है उस में,
उसकी तलब में दिल यूँही नही बेकाबू है.

जब होती है वो करीब हमारे,
भूल जाते हैं दुनिया के दिए सारे ग़म.
दिल जलता है बेवफाई की आग में जब भी,
इन होंठों से दिल में उतर जाती है ये मेरी सनम.

ज़िन्दगी के गमो में मौत आ गयी थी कब के,
उसके मोहब्बत के सहारे अब हम भी जीने लगे हैं.
ऐ खुदा हमे दे दे दुनियां के सारे ग़म,
कोई परवाह नही, अब हम भी पीने लगे हैं.

प्यार में दर्द इतना है फिर भी,
क्यूँ लोग महबूब की इबादत करते हैं,
ये दर्द-ए-दिल हमे फिर न मिले,
इसलिए हम शराब से मोहब्बत करते हैं.

ज़िन्दगी से ख़ुशी की चाह नही है हमे,
अपनी तो हर ख़ुशी होती है जाम से.
कभी डर लगता था अंधेरों से हमे,
अब तो ज़िन्दगी शुरू होती है शाम से.

मय से मोहब्बत हुई तो हम बुरे हो गए,
सब कहते हैं खुद को बर्बाद कर लिया हमने.
तुम्ही बता दो हमे ऐ दुनिया वालों,
आखिर हमे शराबी बनाया किसने ?

Saturday, February 19, 2011

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...


हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

ठान ली है, जीवन में आगे बढ़ना है,
बस इसी में हमारी शान है.
कमजोरों की फ़िक्र हम क्यूँ  करें,
हम खुद ही इतने परेशान हैं.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

कहीं कोई तरप रहा है भूख से,
गरीब अशहाय दे रहे अपनी जान हैं.
इससे हमे क्या, हम सबकी मदद नही कर सकते,
हम इतने भी नही धनवान हैं.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

हम सह रहे हैं महंगाई, बेरोज़गारी की मार,
पर ये मत समझना हम कमज़ोर नादान हैं.
अगर कहोगे हमारे कोंम के खिलाफ कुछ भी,
काट कर रख देंगे तुम्हे, हमे अपने धर्म पर इतना अभिमान है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

अपने अनोखे देश की बात क्या करें तुमसे,
क़र्ज़ के नीचे दब कर आत्महत्या कर रहे किसान हैं.
हमे बहुत दुख है इसका, पर क्या करें ?
इन्हें बचाना तो सरकार का काम है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

बलात्कार, हत्याएं तो अब आम बात है,
ये कुकर्म करने वाले, नर नही पशु समान हैं.
अरे! पर हम इस संसार के सबसे श्रेष्ठ प्राणी हैं,
हमारी मानव सभ्यता यूँ ही नही महान है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

मेरे मन की व्यथा कैसे समझाऊँ तुम्हे.
जागो! अब भी समय है, कभी जीवंत थी ये धरती,
आज न जाने क्यूँ लग रही एक शमशान है.
मैं एक तुच्छ बेबस तुम्हारा ही अपना हूँ,
मेरा बस इतना पैगाम है,

अब बस करो! एक बार अपने चारो ओर देखो! सोचो!
क्या तुम्हे लगता है हम अब भी इंसान हैं ?....

बहुत जी लिए अपने लिए, यही समय की पुकार है.
कुछ ऐसा कर जाओ इस संसार से,
की मृत्यु के बाद भी खुद पर अभिमान हो.
तुम्हारे अन्दर श्रृष्टि की अपार उर्जा का सार है,
खुद पर विश्वास करो, तुम अकेले ही सब का समाधान हो.

फिर गर्व से कह लेना  की तुम भी इंसान हो.....

Thursday, February 17, 2011

बेवफा सनम...



उसके इश्क ने हमे जीना सिखाया,
हमने उसे खुद से भी ज्यादा प्यार किया.
ए खुदा मुझे माफ़ करना,
मैंने एक पत्थर दिल पे तुझ से ज्यादा ऐतबार किया.

कभी खायी थी उसने कसम,
की वो रहेगी सदा मेरी पनाहों में.
मेरे दिल के ज़ख्म अभी भरे भी नही,
और बेवफा खुश है किसी गैर के बाँहों में.

सब कहते है उसे किसी और से मोहब्बत है,
वो किसी और की अमानत है.
इस टूटे दिल को कोई समझा दे ये,
इसमें तो आज भी उसी की चाहत है.

उस बेवफा की मोहब्बत में,
हम दर्द का ज़हर निगलते गए.
वो शम्मा हमे जलाती रही,
और हम मोम से पिघलते गए.

मेरे दिल के साथ खेलने के बाद,
अब उसे मेरे प्यार से इनकार है.
कहते हैं इस दर्द-ए-दिल का कोई इलाज़ नही,
अब तो बस मौत का इंतज़ार है.

उससे पहले कुछ सवाल है मेरे उस बेरहम से,
मेरी मोहब्बत का यही सिला दिया तुने.
ऐसे ज़ख्म दिए हैं इस दिल पे,
जो कभी ना भर पाएंगे कोई मरहम से.

एक आखरी आरजू थी बेदर्द सनम से,
अपने दुपट्टे का एक टुकड़ा दे देना मुझे,
मैं मर सकूँगा चैन से..........अगर,
तेरी खुशबू आएगी मेरे कफ़न से.

Wednesday, February 9, 2011

उनकी वो एक झलक...


आज उनसे मिली हमारी नज़रें कुछ इस तरह,
सुखी धरा मिलती है सावन की बूंदों से जिस तरह.
उस पर से उनका वो मुस्कुराना,
जैसे बारिश के बाद, आकाश में छा गया हो इन्द्रधनुष सुहाना.

अब तो उनकी वो एक झलक दिल में बस गयी है,
उनकी यादें रातों को जगाने लगी है.
तन्हाई में रोने लगा है ये दिल हमारा,
जो कल तक तो था अपना, आज हो गया पराया.

वो हैं तो हमसे दूर, पर उनकी वो एक झलक हमारे पास है.
हमने तो अपना सब कुछ लुटा दिया है उन पर,
मगर अभी भी लगता है इस दिल में बचा कुछ खास है.
वो गुजरी थी हमारे करीब से उस दिन,
बस उनके बदन की मदहोश खुसबू का एहसास है.

उनके बिना, जीने की चाहत मिट सी गयी है,
अब बस उनके गोद में सर रख कर हमेशा के  लिए सोने को जी करता है.
तन्हाई में आहें और कब तक भरे ये दिल,
अब उनसे लिपट कर एक बार रोने को जी करता है.

सब कहते हैं हमे इश्क हो गया है,
हम पर उनके प्यार का नशा छा गया है.
कैसे समझाए हम सबको कितनी मेरी प्यार की गहराई है,
ये इश्क नही इबादत है, हमारी आत्मा तो बस उनकी परछाई है.

खुदा कुछ ऐसा करिश्मा कर,
की हमारी उनसे फिर से मुलाकात हो.
नशा उन पर भी छा जाये मेरे प्यार का ऐसे,
की होठ चुप रहे और आँखों से बात हो.
दोनों खो जाये मोहब्बत के समुन्दर में ऐसे,
और कुछ न हो आस-पास, बस हम वो और हमारे ज़ज्बात हो.