Saturday, February 19, 2011

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...


हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

ठान ली है, जीवन में आगे बढ़ना है,
बस इसी में हमारी शान है.
कमजोरों की फ़िक्र हम क्यूँ  करें,
हम खुद ही इतने परेशान हैं.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

कहीं कोई तरप रहा है भूख से,
गरीब अशहाय दे रहे अपनी जान हैं.
इससे हमे क्या, हम सबकी मदद नही कर सकते,
हम इतने भी नही धनवान हैं.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

हम सह रहे हैं महंगाई, बेरोज़गारी की मार,
पर ये मत समझना हम कमज़ोर नादान हैं.
अगर कहोगे हमारे कोंम के खिलाफ कुछ भी,
काट कर रख देंगे तुम्हे, हमे अपने धर्म पर इतना अभिमान है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

अपने अनोखे देश की बात क्या करें तुमसे,
क़र्ज़ के नीचे दब कर आत्महत्या कर रहे किसान हैं.
हमे बहुत दुख है इसका, पर क्या करें ?
इन्हें बचाना तो सरकार का काम है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

बलात्कार, हत्याएं तो अब आम बात है,
ये कुकर्म करने वाले, नर नही पशु समान हैं.
अरे! पर हम इस संसार के सबसे श्रेष्ठ प्राणी हैं,
हमारी मानव सभ्यता यूँ ही नही महान है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

मेरे मन की व्यथा कैसे समझाऊँ तुम्हे.
जागो! अब भी समय है, कभी जीवंत थी ये धरती,
आज न जाने क्यूँ लग रही एक शमशान है.
मैं एक तुच्छ बेबस तुम्हारा ही अपना हूँ,
मेरा बस इतना पैगाम है,

अब बस करो! एक बार अपने चारो ओर देखो! सोचो!
क्या तुम्हे लगता है हम अब भी इंसान हैं ?....

बहुत जी लिए अपने लिए, यही समय की पुकार है.
कुछ ऐसा कर जाओ इस संसार से,
की मृत्यु के बाद भी खुद पर अभिमान हो.
तुम्हारे अन्दर श्रृष्टि की अपार उर्जा का सार है,
खुद पर विश्वास करो, तुम अकेले ही सब का समाधान हो.

फिर गर्व से कह लेना  की तुम भी इंसान हो.....

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