Tuesday, April 12, 2011

जीवन पथ...


जब भी तू निराश हो,
कोई न तेरे साथ हो.
एक रह आएगी निकल,
गर धैर्य तेरे हाथ हो.

ये मार्ग है बड़ा कठिन,
हिम्मत न हारना कभी.
कल के लिए तू रुक नही,
कदम बढ़ा तू चल अभी.

लक्ष्य है तेरे सम्मुख,
निर्भीक हो तू चल उधर.
अन्धकार से जो तू डरा,
भटक गया, चला किधर ?

मन से डर को निकाल,
विवेकपूर्ण विचार कर.
"निराकार" तेरे साथ हैं,
तू सपनो को साकार कर.

रुकावटों को पार कर,
जीवन का यही अर्थ है.
दुःख न हो जीवन में अगर,
तो सुख का होना व्यर्थ है.

इस पथ के हम सब पथिक,
कोई कमज़ोर, कोई अशहाय है.
ठहर ज़रा! उन्हें उठा गले लगा,
यही मानवता की भलाई है.

सहानुभूति से तू जी,
धीर, कर्मवीर बन.
इस पथ के अंत को समझ,
परमात्मा से मिला तू मन.

यूँ हुई सुमृत्यु तो,
हो जायेगा जग में अमर.
जीवन की ये चुनौती है,
तू उठ, संभल और चल प्रखर.

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