Saturday, April 16, 2011

दिल-ए-आशिकी...


तेरी यादें हैं इस दिल में,
मैं उन यादों को चुनता हूँ.
तुझसे मिलने की चाहत में,
मैं दिन में ख्वाब बुनता हूँ.

तू जिस राह से गुजरे, मैं उस राह पर बैठा,
तेरे वापस गुजरने का इंतज़ार करता हूँ.

तेरी खुशबू में है जादू,
कि मेरा मन मचलता है.
तेरी आँखें कुछ कहती हैं,
मेरा दिल फिसलता है.

मेरे आँखों से जो निकले, उन्हें आंसू न तुम समझो,
तेरी चाहत में जलता हूँ, कि मेरा दिल पिघलता है.

क्यूँ है दिल में ये बेचैनी,
मैं पल-पल आंह भरता हूँ.
मुझे तुझसे है कुछ कहना,
मगर कहते मैं डरता हूँ.

तू है एक परी सुन्दर, तेरे जलवों के क्या कहने,
तेरी अदाओं पे मरता हूँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ.

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