Sunday, March 13, 2011

कॉलेज के दिन........



कुछ ही दिन हुए हैं,
KGP में आया था एक फच्चा.
जम कर पढूंगा,इंजिनियर बनूँगा,
इरादों का था एकदम पक्का.

बच्चों का खेल नही था,
JEE clear किया था उसने.
माँ का दुलारा, पिता का प्यारा,
आज बन गया था सब के आँखों का तारा.

पहली बार घर से दूर,
जीने चला था एक ज़िन्दगी.
नए उत्साह, नए जोश के साथ,
अपने आदर्शों भरी ज़िन्दगी.

बुराई से दूर रहना बेटा, 
कहीं कदम न डगमगाए.
ऐसा कहते-कहते,
माँ के आँख थे भर आये.

कैम्पस का दृश्य तो,
एकदम अनोखा था.
ज़िन्दगी को इतना रंगीन,
उसने पहले कभी न देखा था.

यारों की यारी थी,
क्लास बंक करने की बिमारी थी.
रात को ऐश तो दिन में सोना था,
बस, एक बंदी पटाने का रोना था.

exam आने पर,
एक रात पहले की पढाई थी.
पास करने के लिए,
दूसरों के पेपर से छपाई थी.

दिन भर के frustaape के बाद,
"Eggies" में गुजरती थी सारी रातें.
life के load को कम करने को,
"LS" में होती थी जाम की बरसातें.

peace मारने की आदत में,
CG पूरा मखाया है.
placement का load क्यूँ ले,
इस दुनिया में सब मोह-माया है.

पर कभी-कभी वो सोचता है,
कॉलेज के ये दिन बीत जायेंगे.
यारों के संग बिताये हसीन पल,
फिर कभी न लौट पाएंगे.

दिल उदास हो जाता है,
आँख भर आती है.
क्यूँ नही ये ज़िन्दगी,
यहीं थम जाती है........

**KGP LINGO**

KGP: Kharagpur(IIT); frustaape: frustration; Eggies: night restaurant in kgp;
LS: Bar outside campus; Load: Tension; Peace: opposite of Load;

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