खोया रहता हूँ आजकल मैं ,
बावरा मन भी न पास है .
सब कुछ नया-नया सा लगता है,
ज़िन्दगी में आया कोई खास है.
अकेले में तेरी तस्वीर लिए,
तुझसे बातें किया करता हूँ.
खुश रहने लगा है दिल मेरा ,
क्या हुआ है इसे ? सोच डरता हूँ.
आँखों की यही ख्वाहिश है ,
तू एक पल को भी अब न ओझल हो.
दिल में गर दर्द भी उठे तो,
वो तेरी यादों से ही बोझल हो .
तेरे हसीं चेहरे पे,
है जो मासूम सा भोलापन.
कई आशिक होंगे तेरे मगर,
न होगा उनमे मुझसा दीवानापन.
दुआ में हाथ जब उठे तो,
खुदा से मांग ली थोड़ी हँसी.
तब तुझसे मिला कर उसने,
बक्श दी दुनिया की सारी ख़ुशी.
तुझसे बातें जो करूं मैं,
तो धड़कने क्यूँ बढ़ जाती है ?
तेरे बारे में सोचता हूँ जब,
ये आँख क्यूँ भर आती है ?
No comments:
Post a Comment