Tuesday, April 26, 2011

कुदरत की साजिश.....


शिकायत है मुझे सूरज की किरणों से,
जो हर दिन तेरा दीदार करती हैं.
गिला है बारिश की बूंदों से,
जो छूने को तुझे बादलों से गिरती हैं.

खामोश रातों में मेरी तन्हाई पर,
ये चाँद भी अब हँसता है,
तेरी खूबसूरती से शर्मशार हो,
लगता है वो तुझसे जलता है.

मैंने पूछा हवा से गर,
वो जा रही हो तेरी ओर.
मेरी धड़कने तुझे सुना दे.
वो भड़की, और लिया रुख मोर.

ये सूरज, ये बादल, ये चाँद, ये हवा,
सब हँस रहे हैं हमारी दूरी पे,
ऐ खुदा ! ये फासले और नहीं सहे जाते,
मुझे रिहा कर दे इस मजबूरी से.

दुनिया के सितम कम न थे,
मुझे दिन रात रुलाने को.
कि अब कुदरत भी करने लगी साजिश,
मुझे प्यार में जलाने को.

Tuesday, April 19, 2011

Farewell...


These few lines are dedicated to all my passing out seniors. We'll miss you a lot. Through this poem i have tried to convey what  Our hall   wants to tell you as its last message...



मैं एक पराव था तेरा,
तुझे जीवन में कुछ पाना.
तेरी राहों में हो खुशियाँ,
तू कामियाब हो इतना.

फिर भी कभी जीवन में, तेरे आए कोई उलझन.
तेरा हिम्मत बढ़ाएगा, ये गुजरा TEMPO का ज़माना.

वो common room की practice,
वो sports में मचाना.
रातों को जागकर साथ,
illu में, hall सजाना.

ये दिन आयेंगे तुझको याद, तू चाहे जहाँ जाये.
याद बन जायेंगे तब अश्क, पर उनको न बहाना.

मेरा अस्तित्व है तुमसे,
कभी मुझको न भुलाना.
गर मेरी याद कभी आये,
तुम वापस लौट के आना.

तेरी यादों को संजोए, मैं तेरी राह ताकूंगा.
की हर दीवार पर मेरे, होगा तेरा ही फ़साना.
 की हर दीवार पर मेरे, होगा तेरा ही फ़साना.......

Saturday, April 16, 2011

दिल-ए-आशिकी...


तेरी यादें हैं इस दिल में,
मैं उन यादों को चुनता हूँ.
तुझसे मिलने की चाहत में,
मैं दिन में ख्वाब बुनता हूँ.

तू जिस राह से गुजरे, मैं उस राह पर बैठा,
तेरे वापस गुजरने का इंतज़ार करता हूँ.

तेरी खुशबू में है जादू,
कि मेरा मन मचलता है.
तेरी आँखें कुछ कहती हैं,
मेरा दिल फिसलता है.

मेरे आँखों से जो निकले, उन्हें आंसू न तुम समझो,
तेरी चाहत में जलता हूँ, कि मेरा दिल पिघलता है.

क्यूँ है दिल में ये बेचैनी,
मैं पल-पल आंह भरता हूँ.
मुझे तुझसे है कुछ कहना,
मगर कहते मैं डरता हूँ.

तू है एक परी सुन्दर, तेरे जलवों के क्या कहने,
तेरी अदाओं पे मरता हूँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ.

Tuesday, April 12, 2011

जीवन पथ...


जब भी तू निराश हो,
कोई न तेरे साथ हो.
एक रह आएगी निकल,
गर धैर्य तेरे हाथ हो.

ये मार्ग है बड़ा कठिन,
हिम्मत न हारना कभी.
कल के लिए तू रुक नही,
कदम बढ़ा तू चल अभी.

लक्ष्य है तेरे सम्मुख,
निर्भीक हो तू चल उधर.
अन्धकार से जो तू डरा,
भटक गया, चला किधर ?

मन से डर को निकाल,
विवेकपूर्ण विचार कर.
"निराकार" तेरे साथ हैं,
तू सपनो को साकार कर.

रुकावटों को पार कर,
जीवन का यही अर्थ है.
दुःख न हो जीवन में अगर,
तो सुख का होना व्यर्थ है.

इस पथ के हम सब पथिक,
कोई कमज़ोर, कोई अशहाय है.
ठहर ज़रा! उन्हें उठा गले लगा,
यही मानवता की भलाई है.

सहानुभूति से तू जी,
धीर, कर्मवीर बन.
इस पथ के अंत को समझ,
परमात्मा से मिला तू मन.

यूँ हुई सुमृत्यु तो,
हो जायेगा जग में अमर.
जीवन की ये चुनौती है,
तू उठ, संभल और चल प्रखर.

Saturday, April 9, 2011

तू एक परी है........



महफ़िल में थी,
बहुत सी हसी,
न जाने क्यूँ फिर,
नज़र तुझ पर ही रुकी.

दीवाना हो गया मैं,
सुध-बुध खो गया.
जब धीरे से,
तेरी पलकें झुकी.

इन आँखों से नींद
गायब न होती,
गर तुने नज़रें झुका कर,
फिर से मिलायी न होती.

हम बिन पिए,
ही मदहोश न होते.
गर तू शरमाकर,
मुस्कुरायी न होती.

तेरे कंगने की खनक ने,
किया मेरे दिल को घायल.
एक दर्द सा जगाती है,
तेरी काली आँखों का काजल.

एक आहट से तेरी,
धड़कने बढ़ जाती है.
तू होती है करीब तो,
खुद को भूल जाते हैं.

डर लगता है कहीं,
तू जन्नत की कोई नूर तो नही.
तेरे हुस्न के आगे,
इस ज़मी पर कोई हूर तो नही.

तू आसमा से उतरी एक परी है,
तुझे चाहना मेरी गुस्ताखी है.
जिंदा रहने के लिए प्यार नहीं,
बस तेरी एक झलक ही काफी है.

Tuesday, April 5, 2011

ख़ुशी की तलाश...


चल पड़े हैं एक राह पर सब,
लक्ष्य का न किसी को ज्ञान है.
ज़िन्दगी के दौर में,
कुछ पाने का बस ध्यान है.

दौड़-दौड़ कर थके,
ख़ुशी का न नमो-निशान है.
बस दुःख मिले जीवन में मुझे,
प्रभू, ये कैसा इम्तेहान है.

कुछ प्रश्न हैं दिल में दबे-
दुनिया में इतने गम क्यूँ ?
सब कुछ है पास फिर भी,
सबकी आँखें हैं नम क्यूँ ?

रे मुर्ख! जो मिला तुझे,
उसमे तू ना संतुष्ट है.
तेरी इच्छाओं का ना अंत है,
क्यूँ दुनिया से तू रुष्ट है.

जीवन के भाव को समझ,
नही तो जीना व्यर्थ है.
जो पूरी ना हुई कभी,
उन सपनो का क्या अर्थ है ?

कर्म से भागते रहे,
बस फल की कामना किया.
जो इच्छापूर्ति ना हुई तो,
जीवन में बस दुःख मिला.

ये इच्छाएँ दुःख के मूल हैं,
उन्हें मन से निकाल कर तू फेक.
जितना मिला ईश्वर से तुझे,
उसमे ख़ुशी तलाश कर तू देख.

पिता के डाट में ख़ुशी,
माँ के दुलार में ख़ुशी.
गर जियेगा सबको साथ ले,
दुनिया में तुझसा ना कोई सुखी.

कुछ सवालों के जवाब ढूंढ,
मनुष्य जीवन क्यूँ मिला ?
यूँही वृथा जिए, वृथा मरे,
तो रह जायेगा खुद से गिला.

बटोर ले जो हो सके,
बिखरे पड़े ख़ुशी के पल.
तू आज में जी भर के जी,
किसे पता क्या होगा कल.