Monday, February 28, 2011

फिर से मोहब्बत की हमने...


ज़िन्दगी के सारे ज़ख्म सह रहे थे हम,
पर बेवफाई की चोट से बिखरने लगे थे हम.
न जाने कब उससे मुलाकात हुई हमारी,
अब फिर से सवरने लगे हैं हम.

हम तो तन्हाई में जी रहे थे कहीं,
तभी उसके प्यार ने सहारा दिया.
डर लग रहा था फिर इश्क करने से,
तभी ज़िन्दगी ने प्यार भरा ईशारा किया.

एक डोर खिचती है हमे उसकी ओर,
उसकी खुशबू में अज़ीब सा जादू है.
कुछ तो बात है उस में,
उसकी तलब में दिल यूँही नही बेकाबू है.

जब होती है वो करीब हमारे,
भूल जाते हैं दुनिया के दिए सारे ग़म.
दिल जलता है बेवफाई की आग में जब भी,
इन होंठों से दिल में उतर जाती है ये मेरी सनम.

ज़िन्दगी के गमो में मौत आ गयी थी कब के,
उसके मोहब्बत के सहारे अब हम भी जीने लगे हैं.
ऐ खुदा हमे दे दे दुनियां के सारे ग़म,
कोई परवाह नही, अब हम भी पीने लगे हैं.

प्यार में दर्द इतना है फिर भी,
क्यूँ लोग महबूब की इबादत करते हैं,
ये दर्द-ए-दिल हमे फिर न मिले,
इसलिए हम शराब से मोहब्बत करते हैं.

ज़िन्दगी से ख़ुशी की चाह नही है हमे,
अपनी तो हर ख़ुशी होती है जाम से.
कभी डर लगता था अंधेरों से हमे,
अब तो ज़िन्दगी शुरू होती है शाम से.

मय से मोहब्बत हुई तो हम बुरे हो गए,
सब कहते हैं खुद को बर्बाद कर लिया हमने.
तुम्ही बता दो हमे ऐ दुनिया वालों,
आखिर हमे शराबी बनाया किसने ?

Saturday, February 19, 2011

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...


हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

ठान ली है, जीवन में आगे बढ़ना है,
बस इसी में हमारी शान है.
कमजोरों की फ़िक्र हम क्यूँ  करें,
हम खुद ही इतने परेशान हैं.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

कहीं कोई तरप रहा है भूख से,
गरीब अशहाय दे रहे अपनी जान हैं.
इससे हमे क्या, हम सबकी मदद नही कर सकते,
हम इतने भी नही धनवान हैं.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

हम सह रहे हैं महंगाई, बेरोज़गारी की मार,
पर ये मत समझना हम कमज़ोर नादान हैं.
अगर कहोगे हमारे कोंम के खिलाफ कुछ भी,
काट कर रख देंगे तुम्हे, हमे अपने धर्म पर इतना अभिमान है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

अपने अनोखे देश की बात क्या करें तुमसे,
क़र्ज़ के नीचे दब कर आत्महत्या कर रहे किसान हैं.
हमे बहुत दुख है इसका, पर क्या करें ?
इन्हें बचाना तो सरकार का काम है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

बलात्कार, हत्याएं तो अब आम बात है,
ये कुकर्म करने वाले, नर नही पशु समान हैं.
अरे! पर हम इस संसार के सबसे श्रेष्ठ प्राणी हैं,
हमारी मानव सभ्यता यूँ ही नही महान है.

हमे तो गर्व है की हम इंसान हैं...

मेरे मन की व्यथा कैसे समझाऊँ तुम्हे.
जागो! अब भी समय है, कभी जीवंत थी ये धरती,
आज न जाने क्यूँ लग रही एक शमशान है.
मैं एक तुच्छ बेबस तुम्हारा ही अपना हूँ,
मेरा बस इतना पैगाम है,

अब बस करो! एक बार अपने चारो ओर देखो! सोचो!
क्या तुम्हे लगता है हम अब भी इंसान हैं ?....

बहुत जी लिए अपने लिए, यही समय की पुकार है.
कुछ ऐसा कर जाओ इस संसार से,
की मृत्यु के बाद भी खुद पर अभिमान हो.
तुम्हारे अन्दर श्रृष्टि की अपार उर्जा का सार है,
खुद पर विश्वास करो, तुम अकेले ही सब का समाधान हो.

फिर गर्व से कह लेना  की तुम भी इंसान हो.....

Thursday, February 17, 2011

बेवफा सनम...



उसके इश्क ने हमे जीना सिखाया,
हमने उसे खुद से भी ज्यादा प्यार किया.
ए खुदा मुझे माफ़ करना,
मैंने एक पत्थर दिल पे तुझ से ज्यादा ऐतबार किया.

कभी खायी थी उसने कसम,
की वो रहेगी सदा मेरी पनाहों में.
मेरे दिल के ज़ख्म अभी भरे भी नही,
और बेवफा खुश है किसी गैर के बाँहों में.

सब कहते है उसे किसी और से मोहब्बत है,
वो किसी और की अमानत है.
इस टूटे दिल को कोई समझा दे ये,
इसमें तो आज भी उसी की चाहत है.

उस बेवफा की मोहब्बत में,
हम दर्द का ज़हर निगलते गए.
वो शम्मा हमे जलाती रही,
और हम मोम से पिघलते गए.

मेरे दिल के साथ खेलने के बाद,
अब उसे मेरे प्यार से इनकार है.
कहते हैं इस दर्द-ए-दिल का कोई इलाज़ नही,
अब तो बस मौत का इंतज़ार है.

उससे पहले कुछ सवाल है मेरे उस बेरहम से,
मेरी मोहब्बत का यही सिला दिया तुने.
ऐसे ज़ख्म दिए हैं इस दिल पे,
जो कभी ना भर पाएंगे कोई मरहम से.

एक आखरी आरजू थी बेदर्द सनम से,
अपने दुपट्टे का एक टुकड़ा दे देना मुझे,
मैं मर सकूँगा चैन से..........अगर,
तेरी खुशबू आएगी मेरे कफ़न से.

Wednesday, February 9, 2011

उनकी वो एक झलक...


आज उनसे मिली हमारी नज़रें कुछ इस तरह,
सुखी धरा मिलती है सावन की बूंदों से जिस तरह.
उस पर से उनका वो मुस्कुराना,
जैसे बारिश के बाद, आकाश में छा गया हो इन्द्रधनुष सुहाना.

अब तो उनकी वो एक झलक दिल में बस गयी है,
उनकी यादें रातों को जगाने लगी है.
तन्हाई में रोने लगा है ये दिल हमारा,
जो कल तक तो था अपना, आज हो गया पराया.

वो हैं तो हमसे दूर, पर उनकी वो एक झलक हमारे पास है.
हमने तो अपना सब कुछ लुटा दिया है उन पर,
मगर अभी भी लगता है इस दिल में बचा कुछ खास है.
वो गुजरी थी हमारे करीब से उस दिन,
बस उनके बदन की मदहोश खुसबू का एहसास है.

उनके बिना, जीने की चाहत मिट सी गयी है,
अब बस उनके गोद में सर रख कर हमेशा के  लिए सोने को जी करता है.
तन्हाई में आहें और कब तक भरे ये दिल,
अब उनसे लिपट कर एक बार रोने को जी करता है.

सब कहते हैं हमे इश्क हो गया है,
हम पर उनके प्यार का नशा छा गया है.
कैसे समझाए हम सबको कितनी मेरी प्यार की गहराई है,
ये इश्क नही इबादत है, हमारी आत्मा तो बस उनकी परछाई है.

खुदा कुछ ऐसा करिश्मा कर,
की हमारी उनसे फिर से मुलाकात हो.
नशा उन पर भी छा जाये मेरे प्यार का ऐसे,
की होठ चुप रहे और आँखों से बात हो.
दोनों खो जाये मोहब्बत के समुन्दर में ऐसे,
और कुछ न हो आस-पास, बस हम वो और हमारे ज़ज्बात हो.