ज़िन्दगी के सारे ज़ख्म सह रहे थे हम,
पर बेवफाई की चोट से बिखरने लगे थे हम.
न जाने कब उससे मुलाकात हुई हमारी,
अब फिर से सवरने लगे हैं हम.
हम तो तन्हाई में जी रहे थे कहीं,
तभी उसके प्यार ने सहारा दिया.
डर लग रहा था फिर इश्क करने से,
तभी ज़िन्दगी ने प्यार भरा ईशारा किया.
एक डोर खिचती है हमे उसकी ओर,
उसकी खुशबू में अज़ीब सा जादू है.
कुछ तो बात है उस में,
उसकी तलब में दिल यूँही नही बेकाबू है.
जब होती है वो करीब हमारे,
भूल जाते हैं दुनिया के दिए सारे ग़म.
दिल जलता है बेवफाई की आग में जब भी,
इन होंठों से दिल में उतर जाती है ये मेरी सनम.
ज़िन्दगी के गमो में मौत आ गयी थी कब के,
उसके मोहब्बत के सहारे अब हम भी जीने लगे हैं.
ऐ खुदा हमे दे दे दुनियां के सारे ग़म,
कोई परवाह नही, अब हम भी पीने लगे हैं.
प्यार में दर्द इतना है फिर भी,
क्यूँ लोग महबूब की इबादत करते हैं,
ये दर्द-ए-दिल हमे फिर न मिले,
इसलिए हम शराब से मोहब्बत करते हैं.
ज़िन्दगी से ख़ुशी की चाह नही है हमे,
अपनी तो हर ख़ुशी होती है जाम से.
कभी डर लगता था अंधेरों से हमे,
अब तो ज़िन्दगी शुरू होती है शाम से.
मय से मोहब्बत हुई तो हम बुरे हो गए,
सब कहते हैं खुद को बर्बाद कर लिया हमने.
तुम्ही बता दो हमे ऐ दुनिया वालों,
आखिर हमे शराबी बनाया किसने ?