Wednesday, October 10, 2012

डर_लगता_है.......


कहते  हैं , "जो  डरते  हैं  वो  प्यार  नही  करते ",
पर मैं  तो  तुझसे  इतनी  मोहब्बत  करता  हूँ .
फिर  क्यूँ  है  ऐसा  की ,
हर  पल , हर  एक  बात  से  मैं  डरता  हूँ .

डरता  हूँ  मैं  तन्हाई  से ,
की  खुद  को  ढूँढू  या  तुझ  को  पाऊं .
डरता  हूँ  दुनिया  की  भीड़  से ,
कहीं  बिन  तेरे  इसमें  गुम  न  जाऊं .

डरता  हूँ  तुझसे  दूर  रहने  से ,
की  अब  और  तनहा  मैं  रह  न  पाऊँ .
डरता  हूँ  तेरे  करीब  आने  से ,
कहीं  जज्बातों  के  भवर  में  बह  न  जाऊं .

डरता  हूँ  तुझे  छूने  से ,
कहीं  छुईमुई  सी  तू  सिकुर  न  जाए.
डरता  हूँ  तुझे  गले  लगाने  से ,
कहीं  इन  बाहों  में  तू  बिखर  न  जाए .

डरता  हूँ  इस  रात  की  चाँदनी  से,
की  ये  तेरे  ख्वाबों  के  संग  ढल  न  जाए.
डरता  हूँ  सुबह  की  किरणों  से ,
कहीं  उजालों  की  चमक  में  तू  बदल  न  जाए.

डरता  हूँ  मैं  इज़हार  करने  से,
कहीं  तुझे  सदा  के  लिए  खो  न  दूँ.
डरता  हूँ  चुप  भी  रहने  से,
की  फिर  दिल  की  बातें  किससे  मैं  कहूँ.

डरता  हूँ  मैं  तेरी  बातों  से ,
की  उनमे  किसी  ग़ैर  का  कभी  जिक्र  न  हो.
डरता  हूँ  तेरी  ख़ामोशी  से ,
कहीं  ऐसा  तो  नहीं  तुझे  मेरी  फ़िक्र  न  हो.

और  डर  लगता  है  ये  सोच  कर  हर  पल ,
की  क्या  गर  तुझे  कभी  पा  न  सकूँ.
उस  खुदा  से  यही  दुआ  होगी  मेरी ,
आखिरी  सांस  तक  तुझी  से  मैं  प्यार  करूँ.