Wednesday, May 2, 2012

कशिश_दिल_की.....


कुछ   ख्वाब  हैं  मेरे पलकों पे सजे,
तुझे अपने  ख्वाब  दिखाऊँ  कैसे?
लब   खुलते नही तेरे आगे,
आँखों से दिल की  बात   बताऊँ  कैसे?

मैं नादाँ, मुझे आशिकी नही आती,
तुझ पर अपनी मोहब्बत  जताऊँ  कैसे?
इज़हार करू पर डरता हु तुझे खोने से,
मैं दिल की बात जुबां पे लाऊं कैसे?

यादें तेरी तड़पाती है मुझे तन्हाई  में ,
मैं अपने अश्क सब  से  छुपाऊँ कैसे?
मेरे हाल  पे  कई   सवाल  हैं  उठे,
तेरे  साथ   बिना सबको समझाऊँ कैसे?

डर लगता है तेरी ख़ामोशी से,
यूँ इंतज़ार में जीए जाऊं कैसे?
इंसा नही, खुदा है तू मेरे लिए,
फिर तुझे दिल से भुलाऊँ कैसे?

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