लम्हों के दरमियाँ हमने,
कुछ पल संजोये रखा है.
कुछ भूली-बिसरी यादें हैं,
जिन्हें दिल से लगाये रखा है.
इन्ही यादों के सहारे अकसर,
पीछे मुड़कर देखा करते हैं.
एक हलकी सी मुस्कान बिखर आती है,
कभी अश्क भी निकलते हैं.
याद आती है उनसे वो पहली मुलाकात अपनी,
की इन आँखों को फिर कोई भायी न कभी.
नहीं भूला है दिल वो अनकही बातें,
जो कभी जुबान पर लायी न गयी.
ये वो पल थे जो हमने,
खो दिए दिल की हिचकिचाहटओं में.
खैर कुछ यादें ऐसी भी हैं दिल में,
जो घिरी हैं मुस्कुराहटों में.
वो शरारत भरी बचपन की यादें,
ठहाको से घिरी यारों की बातें.
जी लेने को फिर करता है दिल,
वो मस्ती में भीगी कॉलेज की रातें.
सोचते हैं अगर ये पल न होते,
तो क्या हमारी ज़िन्दगी होती.
न बीते दिनों के ख्वाब होते,
ना ही कोई यादें होती.
इसीलिए हर लम्हा जी भर के जियो यारों,
की फिर ये पल लौटकर आयेंगे नहीं.
खुशियाँ बिखेर दे हर ओर,