Sunday, August 28, 2011

ख्वाबों की परी...



तू कौन है ?
तेरा मुझसे रिश्ता क्या है ?
मेरी बेचैनी है बढ़ी क्यूँ ,
ये किस्सा क्या है ?

धुंधली सी तेरी तस्वीर,
मेरे दिल में है बसी.
इस दुनिया की नहीं तू,
तुझसी कोई और न हसी.

मेरे ख्वाबों की परी तू,
कभी ज़मी पे तो उतर.
तेरे नूर से मैं रौशन,
खुदा कर दे ये मेहर.

तनहा रातों में तू,
मुझसे बातें किया करती है.
तुझे ढूँढू मैं कहाँ ?
तू ख्वाबों में मिला करती है.

तू बस  एक   कल्पना है मेरी,
दिल ये समझता ही नही.
तेरी आहट ये सुनता है,
तू है मेरे  करीब  कहीं.

ख्वाबों से निकल तू,
आएगी मेरे बाँहों में कभी.
लब खुल न सकेंगे तब मगर,
निगाहें कहेंगी बातें अनकही.

प्यार की डोर तुझसे है जुड़ी,
मेरे ये लफ्ज़ इबादत हैं तेरी.
 आ  भी  जा, मिटा दे ये दूरी,
तेरी राह में मेरी पलकें हैं बिछी.